धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को जल्द ही दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का दीदार होगा। जम्मू के रियासी से कश्मीर को जोड़ने वाली रेल लाइन पर बन रहे इस ब्रिज का निर्माण कार्य अंतिम चरणों में है। ब्रिज के आर्च के दोनों हिस्सों को जोड़ दिया गया है। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यह ब्रिज बनकर तैयार हो जाएगा। इसकी ऊंचाई 359 मीटर है। ये ब्रिज पेरिस के एफिल टावर से भी 35 मीटर ऊंचा होगा। इसे बनाने में 28,000 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस ब्रिज पर माइनस 20 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर का भी कोई असर नहीं होगा। इस ब्रिज को दो हिस्सों में बनाया गया है। ब्रिज का एक हिस्सा पिलर पर है जबकि दूसरा हिस्सा आर्च पर बनाया जा रहा है। फिलहाल आर्च बनकर तैयार हो गया है। हाल ही में रेल मंत्रालय ने भी इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था।

रेल पुल के काम में लगे कर्मचारियों की मेहनत रंग लाई
इस ब्रिज को बनाने में 3200 से ज्यादा कर्मचारी लगे हैं। वे दिन-रात एक करके इसे बनाने में जुटे हैं। यहां काम कर रहे एक इंजीनियर से हमारी बात हुई। उन्होंने बताया कि जैसे ही दोनों आर्च आपस में जुड़े, हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यह हमारे लिए सपने सच होने जैसा पल था। हम सब की मेहनत रंग लाई है। जब यह ब्रिज बनकर तैयार होगा तो देश की ख्याति पूरी दुनिया में फैलेगी।
कैसे तैयार हुआ दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज का आर्च?
इस ब्रिज का आर्च अब बनकर तैयार हो चुका है। बॉटम आर्च को सेट कर दिया गया है। अब उसे मजबूती देने का काम चल रहा है। इसके बाद अपर आर्च को लगाया जाएगा। अप्रैल में उसका भी काम पूरा कर लिया जाएगा। इस आर्च को बनाने के लिए हाई क्वालिटी स्टील का इस्तेमाल किया गया है। करीब 24 हजार टन स्टील इसमें लगा है। साथ ही दोनों आर्चों को जोड़ने के लिए 2 लाख से ज्यादा बोल्ट लगाए गए हैं। इसकी मेंटेनेंस के लिए आर्च में ही जगह भी बनाई गई है, ताकि जरूरत पड़े तो उसके अंदर जाकर मेंटेन किया जा सके। दिलचस्प बात यह है कि ब्रिज के स्टील को हरे रंग से कलर किया गया है, जो सेना की वर्दी की तरह दिखता है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
यह रेल ब्रिज आतंकवाद से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में बनाया जा रहा है। यहां से गुजरकर रेल को कश्मीर में दाखिल होना है। इसलिए पुल बनाते समय सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की पल-पल की मॉनिटरिंग हर स्तर पर की जा रही है। इसके लिए हाई डेफिनेशन कैमरे ब्रिज के चारो ओर लगाए गए हैं। एक कंट्रोल रूम से इसकी निगरानी की जा रही है। आतंकी खतरों को देखते हुए ब्रिज में ब्लास्ट प्रूफ और माइन प्रूफ स्टील का इस्तेमाल किया गया है। ये ब्रिज भूकंप के तेज झटकों के साथ 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की हवा को भी सहन कर सकता है।

इस साल के अंत तक है काम पूरा करने का टारगेट
प्रोजेक्ट के डिप्टी चीफ इंजीनियर आरआर मलिक के अनुसार साल 2021 के अंत तक ब्रिज बनकर तैयार हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट का काम 2003 -2004 में शुरू हुआ था। 2014 में केंद्र की मोदी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए और इस साल के अंत तक का टारगेट रखा। इसे बनाने में DRDO की भी मदद ली गई है।