कोरिया
ए0एस0अन्सारी (द प्रेस टीवी)
’लूट लुंगा जंगल-कुछ कर नही पाओगे’
हमने पूर्व के अंको मे कोरिया वनमण्डल मे हो रहे घोटाले से पर्दा हटाया था उसी कड़ी में हम 2रा भाग प्रसारित कर रहे है। कोरिया वनमण्डल में जमकर लूट मची हुई है जी हां कमीशन का खेल और सीएम का हाथ यह कहना है यहां के अधिकारियों का?
सोनहत, बैकुण्ठपुर, खड़गंवा, चिरमिरी, कोटाडोल, देवगढ़ इन समस्त वन परिक्षेत्र का कोई एक बाउचर उठाकर उसकी जांच कर लो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
सोनहत रेन्जर जो रिटायर्ड होने वाले है इनको नियमतः 6 माह पूर्व ही वित्तीय प्रभार से हटा देना चाहिए परन्तु एसा नहीं किया गया है। इस मामले मे हमने वनमन्त्रालय को लिखित में षिकायत पत्र भेजने का विचार किया गया है। जल्द इस मामले में डीएफओ और रेन्जर के विरूद्ध जांच और कार्यवाही की मांग की जाएगी।
जंगल मे सब मंगल है?
जब सत्ता पक्ष का हाथ हो तो भ्रष्टाचारियों को भ्रष्टाचार करने से कौन रोक सकता है। इस डीएफओ का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे है। सीसीएफ अम्बिकापूर की तो बात ही क्या है?
करोणो का घोटाला हो चूका है परन्तु कार्यवाही और जांच नही होगी।
कोरिया वनमंडल भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है जहाँ बिना किसी जिम्मेदार अधिकारियों के खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है . चूंकि वन मंडल में एक ऐसे अधिकारी है जो पूरे वनमंडल को चारागाह समझ बैठे है और चारागाह की तरह वनमंडल को चरकर खोखला करते जा रहे है
उल्लेखनीय है कि वनमंडल में इस समय करोडो के निर्माण कार्य चालू है मगर इन करोडो के कार्या की देखरेख करने वाला कोई नही है इसलिए तो नियम कायदों को ताक में रखते हुए खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल अपने चरम पर चल रहा है ।
भारी मात्रा में फाल्स बाउचर तैयार कर वनमंडल से चेक जारी कराने की कोशिश की जा रही है। भुगतान कि कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाकर गंभीरता से इसकी जांच कराए जाने पर एक बड़े भ्रष्टाचार का पोल खुलेगी !
केम्पा मत जो शासन की बेहद महत्ती योजना है वह भी इन वन अधिकारी और उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता हुआ दिखाई देता है जबकि उक्त मामले में केम्पा योजना पीसीसीएफ अधिकारी श्री निवाशन राव , एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन राकेश चतुर्वेदी को इसकी सूचना समय समय पर दी जाती रही है मगर उनके द्वारा भी उक्त मामले कि किसी भी प्रकार की गंभीरता न दिखाना उच्चाधिकारियों की मौन सहमति को दर्शाता है.
जबकि उक्त गंभीर मामलों के उच्च जांच स्तरीय टीम गठित की जानी चाहिए और मामले की सूक्ष्मता से जांच कराई जानी चाहिए . साथ ही विपक्ष दल के नेताओ के द्वारा मरवाही कांड को बिंदुवार मानसून विधानसभा सत्र में उठाएं जाने की बात भी जोरो पर है।