एक ट्वीट के मामले में भाजपा नेता द्वारा दर्ज शिकायत पर पालनपुर के एक सर्किट हाउस से आधी रात को उठाए जाने और गुवाहाटी ले जाए तक…गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी कोकराझार जेल में नौ दिन बिताने के बाद जमानत पर बाहर हैं। जिग्नेश मेवाणी की जमानत मंजूर करते हुए अदालत ने असम पुलिस को फटकार लगाई थी। वहीं, जमानत पर बाहर आने के बाद जिग्नेश मेवाणी ने बताया कि कांग्रेस और राहुल गांधी पूरी मजबूती के साथ उनके साथ खड़े रहे।
असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के मामले पर बात करते हुए जिग्नेश मेवाणी ने कहा, “मैं निश्चिंत और आहत दोंनों हूं, जमानत पाने को लेकर निश्चित तौर पर राहत में हूं लेकिन बिना किसी वजह के उत्पीड़न के कारण आहत भी हूं। जहां तक इन दोनों मामलों (ट्वीट को लेकर, और एक महिला पुलिस अधिकारी पर कथित रूप से हमला करने के लिए) का संबंध है, मैं बिल्कुल निर्दोष हूं।”
वडगाम से विधायक ने कहा, “मैं इस बात से खुश हूं कि पूरे भारत में, खासकर गुजरात में, मेरे निर्वाचन क्षेत्र, बड़ौदा, सूरत, अहमदाबाद, कच्छ, सौराष्ट्र में लोग मेरे समर्थन में आए। इनमें कुछ भाजपा समर्थक भी थे जो अपने चेहरे को ढंक रहे थे, लेकिन वे वहां मौजूद रहे …लोगों ने मुझे ऐसा बताया। मुझे न केवल एक कांग्रेसी के रूप में देखा गया, बल्कि ‘दलित के बेटे’ की तरह देखा गया। मैं गर्व से कह सकता हूं कि इसका संबंध इस बात से भी है कि मुझे एक दलित के सच्चे बेटे के रूप में पसंद किया गया है।”
राहुल-कांग्रेस ने हर कदम पर दिया साथ- मेवाणी
उन्होंने कहा कि पूरे मामले के दौरान कांग्रेस मजबूती से उनके साथ खड़ी रही और पार्टी ने हर स्तर से उनका साथ दिया। मेवाणी ने कहा, “मेरी तरफ से किसी ने राहुल गांधी को फोन कर दिया। शायद वह विदेश में थे और सो रहे थे। उन्होंने फोन रिसीव किया, ध्यान से पूरी बात सुनी और फिर दिल्ली में पार्टी के लोगों को निर्देश दिया।”
जिग्नेश मेवाणी ने कहा, “जगदीश ठाकोर (गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष) अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचे, जहां से मुझे ले जाया जा रहा था… पवन खेड़ा और रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से बात की… असम कांग्रेस के अध्यक्ष और वकीलों की एक टीम मेरे लिए आ गई। यूथ कांग्रेस के लोग 12-14 घंटे लगातार थाने के बाहर थे। एक भी दिन ऐसा नहीं था जब मेरे समर्थन में असम में विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ हो।”
हिरासत में बिताए गए वक्त पर बात करते हुए मेवाणी ने कहा, “एक दिन मैं पुलिस लॉकअप में था, जहां बहुत सारे मच्छर और कॉक्रोच थे। जाहिर है ज्यादा रोशनी नहीं, कोई पंखा नहीं। लॉकअप आखिरकार लॉकअप ही होता है … वह नरक के अलावा और कुछ नहीं हैं। हालांकि, पुलिस ने कभी बुरा बर्ताव नहीं किया। “