अस्पताल में बिजली गुल, 4 बच्चों की मौत:अंबिकापुर में SNCU वार्ड में भर्ती थे - THE PRESS TV (द प्रेस टीवी)
September 23, 2023
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अस्पताल में बिजली गुल, 4 बच्चों की मौत:अंबिकापुर में SNCU वार्ड में भर्ती थे

छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर के अस्पताल में 4 बच्चों की मौत हो गई। बच्चे स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (SNCU) में भर्ती थे। इस बीच रविवार रात को यहां बिजली गुल हुई। अगले दिन सुबह पता चला है कि 4 बच्चों की जान चली गई है। पूरे मामले को लेकर बच्चों के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अस्पताल की लापरवाही के कारण जान गई है। पूरा मामला मेडिकल कॉलेज स्थित मातृ शिशु अस्पताल का है।

प्रबंधन बोला-बच्चों की हालत पहले से क्रिटिकल
उधर, खबर सुनते ही परिजनों का गुस्सा फूट गया। परिजन कहने लगे कि बिजली बंद हुई थी। इस वजह से बच्चों की जान गई है। अस्पताल ने भी लापरवाही की है। वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बिजली जरूर कुछ देर के लिए बंद हुई थी, लेकिन वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट चालू था। बच्चों की हालत पहले से क्रिटिकल थी।

सीनियर अधिकारी अस्पताल पहुंचे हैं और वार्ड का निरीक्षण किया।
सीनियर अधिकारी अस्पताल पहुंचे हैं और वार्ड का निरीक्षण किया।

सीनियर अधिकारी पहुंचे अस्पताल
इधर, इस बात की खबर लगते ही मौके पर अस्पताल के डीन रमणेश मूर्ति, कलेक्टर कुंदन कुमार और सीएमएचओ पीएस सिसोदिया समेत तमाम अधिकारी पहुंचे । वार्ड का निरीक्षण करने के बाद कलेक्टर कुंदन कुमार ने कहा है कि बच्चों की क्रिटिकल कंडीशन थी। हमने डॉक्टरों से भी बात की है। उन्होंने कहा कि बिजली की समस्या से वेंटिलेटर या अन्य जो भी सुविधाएं होती हैं। वो बंद नहीं हुई थी। हम इसकी फिर से जांच कराएंगे।

मैंने इलेक्ट्रीशियन से बाती है, उसने बताया कि बिजली की समस्या रात को डेढ़ बजे के आस-पास हुई थी। पैनल जल गया था, लेकिन एसएनसीयू के लिए जो बैकअप था, वह पूरी तरह से काम कर रहा था। अभी ये जानकारी मिली है, हम तकनीकी टीम का गठ करेंगे, सीसीटीवी फुटेज की भी जांच करवाएंगे।

बच्चों के परिजन।
बच्चों के परिजन।

घटना के बाद एक बच्चे के परिजन ने बताया कि जो भी हुआ है, वह लाइट गोल होने के कारण हुआ है। बच्चों को खुले में रखा जाता है। परिजन ने कहा कि लाइट बहुत देर तक गोल था। लेकिन प्रबंधन ने कोई व्यवस्था नहीं की थी। कुछ समझ में ही नहीं आया। बाद में हमें मौत की जानकारी दी गई है।

हमने नहीं बंद की बिजली

इस मामले में बिजली विभाग के EE SP कुमार ने कहा है कि मेडिकल कॉलेज की एमसीएच बिल्डिंग के पैनल में खराबी आई थी। इसके कारण करीब 2 घंटे बिजली बंद रही है। लेकिन बिजली विभाग की तरफ से बिजली सप्लाई बंद नहीं की गई थी। इसमें कहीं कोई कमी नहीं आई थी।

मंत्री टीएस सिंहदेव
मंत्री टीएस सिंहदेव

इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि 4 बच्चों की मौत की जानकारी मुझे मिली है। इसलिए विभागीय प्रमुख अधिकारी, हेल्थ सेक्रेटरी को फोन कर तत्काल एक जांच टीम गठित कर जांच कराने के निर्देश दिए हैं। मैंने सीएम को भी इस बात की जानकारी दे दी है। इसके बाद खुद मंत्री सिंहदेव हेल्थ सेक्रेटरी के साथ अस्पताल पहुंचे। उन्होंने 48 घंटे के भीतर जांच कर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा है कि ड्यूटी में लापरवाही बरती गई है। ड्यूटी रोस्टर भी मौजूद नहीं था। उधर मंत्री के पहुंचने पर बीजेपी नेता भी अस्पताल पहुंच गए थे और उन्होंने वहां पर जमकर हंगामा किया है।

अस्पताल में निरीक्षण करने पहुंचे थे मंत्री।
अस्पताल में निरीक्षण करने पहुंचे थे मंत्री।

सीएम ने जताया दुख

घटना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी दुख जताया है। उन्होंने बच्चों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति सवेदना व्यक्त की है।

एसएनसीयू में नवजात शिशु के हर तरह के गंभीर बीमारी का इलाज किया जा सकता है।
एसएनसीयू में नवजात शिशु के हर तरह के गंभीर बीमारी का इलाज किया जा सकता है।

SNCU ‌‌वार्ड के बारे में जान लीजिए

एसएनसीयू में नवजातों के इलाज के लिए वेंटिलेटर, फोटोथेरेपी डिवाइस, सी-पैप जैसी सभी तरह की व्यवस्था होती हैं। जिसे 24 घंटे चिकित्सक, प्रशिक्षित एएनएम, जीएनएम की निगरानी में संचालित किया जाता है। एसएनसीयू में नवजात शिशु के हर तरह के गंभीर बीमारी का इलाज किया जा सकता है।

यहां जन्म के समय बहुत कम वजन, सांस लेने में समस्या, जन्म के बाद न रोने वाले, रेस्पिटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से ग्रसित, जन्म के बाद से ही पेट में समस्या से ग्रसित, रुक-रुक कर सांस लेने वाले, निमोनिया जैसे अनेक तरह की बीमारी से ग्रसित बच्चों का इलाज किया जाता है। यहां 24 घंटे निगरानी में रखते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों से उनका इलाज किया जाता है जिससे उसे स्वस्थ्य किया जा सके। कई बार ऐसा देखा गया है कि जन्म के बाद बच्चा काफी कमजोर होता है। ऐसे में एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कर उसका इलाज किया जाता है।

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