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October 4, 2023
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भाई को बचाना था, बेटी के कत्ल की साजिश रची:पिता ने भाई के हाथ में चाकू दिया और बोला- तुम मार दो मैं देख नहीं पाऊंगा

पीलीभीत

उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में एक 10 साल की बच्ची की चाकू गोदकर हत्या कर दी गई। उसके चाचा, पिता और दादा ने ही वारदात को अंजाम दिया। वह भी सिर्फ इसलिए कि बच्ची का चाचा रेप के केस में फंसा हुआ था। ऐसे में तीनों आरोपियों ने साजिश रची कि रेप पीड़ित के पति को कत्ल के झूठे केस में फंसा देंगे तो दबाव बनाकर रेप का केस हटवाया जा सकेगा।

ये पूरा वाकया पीलीभीत के अमरिया थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव का है। बच्ची का नाम अनम था। वह 3 दिसंबर को खेत में तड़पती हुई मिली थी। उसके पेट पर चोट का गहरा जख्म था। आंतें बाहर आ गई थीं। चेहरे और हाथ पर भी चोट के निशान थे। करीब आधे घंटे तक तड़पने के बाद उसने परिवार के सामने ही दम तोड़ दिया।

परिवार ने अपने रिश्तेदार शकील पर हत्या का आरोप लगाया, लेकिन उनकी ये चाल कामयाब नहीं हो पाई। पुलिस जांच में पता चला कि बच्ची अनम के अब्बू अनीस, चाचा शादाब और दादा शहजादे ने रंजिश का बदला लेने के लिए उसकी हत्या की।

साजिश में अनीस और शादाब के दो और भाइयों सलीम और नसीम के नाम भी आए। इसके बाद पुलिस ने पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।

बच्ची की हत्या के आरोप में पुलिस ने उसके पिता, तीन चाचा और दादा को गिरफ्तार किया है। सफेद जैकेट में उसका पिता है और नीली जैकेट में चाचा शादाब।

पहले पढ़िए, बच्ची के कत्ल की साजिश की वजह
साल 2019, मृतक बच्ची अनम के चाचा शादाब को गांव के पास रहने वाली एक लड़की से प्यार हो गया। बात शादी तक पहुंची तो लड़की का परिवार तैयार नहीं हुआ। बहुत कहने के बाद भी जब परिवार नहीं माना तो शादाब ने उस लड़की के साथ भाग कर शादी कर ली। लड़की पारसी समाज की थी। इसलिए लड़की के भाई शकील ने शादी का विरोध किया। उस दिन से दोनों परिवारों में दुश्मनी हो गई। इसी बीच, शकील ने अपनी पत्नी के साथ रेप का मामला शादाब के खिलाफ दर्ज करा दिया।

इस मामले में हाल ही में कोर्ट से वारंट जारी किया गया था। इसके बाद, शादाब के परिवार वाले अपने बेटे को बचाने के लिए परेशान होने लगे। शादाब और दादा शहजादे को जब कुछ नहीं समझ आया तो उन्होंने बच्ची अनम की हत्या में शकील को फंसाने की साजिश रची। ताकि शादाब से रेप के मुकदमे में समझौता करने का दबाव शकील पर बना सकें। उन्होंने इस घिनौनी वारदात में बच्ची अनम के पिता अनीस को भी शामिल कर लिया।

यहां से शुरू होती है बच्ची की हत्या की साजिश
अनम को मारने का प्लान पिता अनीस, चाचा शादाब और दादा शहजादे ने 1 महीने पहले से ही बनाना शुरू कर दिया था। बच्ची की हत्या का मास्टरमाइंड उसका चाचा शादाब और दादा था। पिता भी भाई को बचाने के लिए उसमें शामिल हो गया था। बच्ची के हत्यारों का मानना था, बेटी तो बाद में फिर पैदा हो जाएगी, लेकिन अगर भाई जेल गया तो परिवार बिखर जाएगा। इसलिए तीनों ने मिलकर 10 साल की मासूम को बेरहमी से मार दिया।” यह खुलासा आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में किया है।

चाचा ने पूरी घटना पुलिस को बताई। ये भी बताया कैसे इन लोगों ने मिलकर अनम को मारा।
चाचा ने पूरी घटना पुलिस को बताई। ये भी बताया कैसे इन लोगों ने मिलकर अनम को मारा।

आरोपी चाचा का कबूलनामा- पेट में चाकू डाला, फिर घुमा कर निकाल लिया
आरोपी चाचा शादाब ने पुलिस को बताया, “1 महीने पहले जब बड़े भाई इस घटना के लिए तैयार हुए तो हम लोगों ने अनम को मारने का प्लान बनाना शुरू कर दिया। हम लोगों ने पहले भी कोशिश की थी, लेकिन तब वो बच गई थी। इसीलिए इस बार मजबूत प्लान बनाया था। अनम को मेला देखना बहुत पसंद था। गांव में मेला लगा हुआ था। मेरे बड़े भाई ने भी इस बार मेले में दुकान लगाई थी। घर में मेरे पिता शहजादे सब देख रहे थे। हम लोग लगातार एक-दूसरे से फोन पर बात कर रहे थे, जिससे कोई गड़बड़ न हो।”

“शाम को मैंने अनम को मेला जाने के लिए पूछा तो वो खुश हो गई। मैंने उसको मना किया कि अपने भाई को मत बताना हम लोग चोरी से मेला चलेंगे। वो इस बात के लिए राजी हो गई। इसके बाद मैंने उसको घर से बाहर बुला लिया। हम लोग पैदल ही मेला गए। मुझे पता था मैं अपनी भतीजी को मारने वाला हूं। इसलिए उसकी पसंद की हर चीज उसको खिलाई। झूला भी झुलाया। वो कुछ खिलौने भी लेने के लिए बोल रही थी, लेकिन वो मैंने उसको नहीं दिलाए। मुझे पता था ये खिलौने वो कभी खेल नहीं पाएगी।”

“हम लोग मेला घूमते-घूमते उसके पिता के पास पहुंचे। मेरे बड़े भाई ने पहले से ही नींद की गोली खरीदकर रखी हुई थी। बच्ची अनम को बिना बेहोश किए मारना मुमकिन नहीं था। साथ ही हम लोगों को उसको मेले से गायब हुआ भी दिखाना था। मैं उसको उसके पिता के पास छोड़कर घर चला आया और खाना खाने लगा। मुझसे भाभी ने पूछा भी, अनम कहां है तो मैंने भाई के पास होने की बात कह दी। वहां मेले में मेरे भाई ने उसको नींद की गोली मिलाकर जूस पिला दिया। फिर उसको घर की ओर लाने लगे। रास्ते में जब मेरी भतीजी पूरी तरह से बेहोश हो गई तो भाई ने उसको एक खेत में रखे पुवाल के नीचे छिपा दिया। उसके बाद वो फिर से दुकान चले गए।”

“इधर घर में अनम के बहुत देर तक वापस नहीं आने पर हम लोगों ने उसके किडनैप होने का नाटक किया। भाई को फोन किया तो वो भी बोल दिए अनम मेरे पास नहीं है। इसके बाद हम लोग मिलकर उसको ढूंढने का नाटक करने लगे। मस्जिद से भी ऐलान करवाया। मैं और अब्बू ने उस जगह गांव के और परिवार के लोगों को नहीं जाने दिया, जहां पर अनम को छुपाया गया था। मैंने और भाई ने ही वो जगह तय की थी।”

“इस बीच हम लोगों ने पुलिस को भी जानकारी देने की बात कही। फोन करने का नाटक भी किया। हम लोगों ने तब भी झूठ बोला कि पुलिस सुबह अनम को ढूंढने के लिए बोल रही है। जब अनम को ढूंढते-ढूंढते सुबह के 4 बज गए तो हम लोग सभी को लेकर घर वापस आ गए। हमने कहा, पुलिस के आने के बाद फिर से हम लोग उसका पता लगाएंगे। हम लोगों ने परिवार को समझाया अनम कहीं होगी वो मिल जाएगी। जब सब घर में चले गए तो कुछ देर बाद हम तीनों उसको देखने के बहाने घर से बाहर निकले।”

“अनम को मारने के लिए चाकू पहले से ही घर से कुछ दूरी पर छुपा दिया था। भाई ने जाकर अनम को बाहर निकाला तो वो बेहोश ही मिली। मैं और अब्बू ने पहले अनम को पत्थर से मारा। बड़े भाई अनीस ने भी बेटी के शरीर पर पत्थर से वार किया। उसके बाद हम लोगों ने उसकी जैकेट खोल दी, जिससे चाकू सही से अंदर चला जाए। पहले उसको अनीस ही मारने वाले थे, लेकिन फिर उनका दिल पसीज गया।”

बच्ची खेत पर पड़ी मिली थी। दर्द के कारण वो बोल नहीं पा रही थी।
बच्ची खेत पर पड़ी मिली थी। दर्द के कारण वो बोल नहीं पा रही थी।

“उन्होंने मुझे चाकू दे दिया। उसके बाद कहा- मैं उधर मुंह घुमा लूं फिर तुम चाकू मारना। भाई के मुंह घुमाते ही मैंने उसके पेट में चाकू मारा फिर घुमा कर बाहर निकाल लिया। उसकी आंतें बाहर आ गईं। करीब आधे घंटे तक हम लोग वहीं उसको मरता हुआ देखते रहे। वो चिल्लाए न इसलिए अब्बू उसका गला दबाए हुए थे।”

“अनम बेहोश थी, लेकिन हमें लगा कि वो मर गई। हम लोगों ने उसको उठाकर गेहूं के खेत में डाल दिया। मैं उसका जूता उठाकर लाया और उसे खेत के बाहर डाल दिया। उसके बाद हम लोग रोते हुए घर पहुंचे और कहा कि अनम कहीं नहीं मिल रही। कुछ देर बाद फिर से उसकी तलाश करने निकल गए।”

“उसको ढूंढते हुए हम वहीं पहुंचे जहां उसका जूता डाल आए थे। जूता देखकर मैं जोर से चिल्लाया-अनम का जूता मिला। मेरी आवाज सुनकर बड़े भाई और अब्बू भी आ गए। गांव के लोग भी पहुंचे। हम लोग खेत के अंदर गए तो अनम जिंदा मिली। ये देखकर हम लोग डर गए।”

“मेरे अब्बू उसके पास दौड़कर गए। उन्होंने उससे बार-बार पूछा कि तुमको किसने मारा, तुमको किसने मारा। वो रोने भी लगे। गांव के लोगों ने कई बार पुलिस को सूचना देने की बात कही, लेकिन हम लोगों ने फोन नहीं किया। हम लोगों ने वेट किया अनम के मरने का। कुछ देर तक तड़पने के बाद वो मर गई। उसके बाद हमनें पुलिस को सूचना दी। पुलिस के आते ही शकील को फंसाने के लिए उसका नाम ले लिया, लेकिन उसके बाद भी पुलिस जांच में हम लोग पकड़े गए।”

ये अनम का पिता है। इसने अपनी बेटी का चेहरा पत्थर से कुचला था।
ये अनम का पिता है। इसने अपनी बेटी का चेहरा पत्थर से कुचला था।

घर में इस घटना के बारे में किसी को नहीं पता था: आरोपी चाचा

आरोपी चाचा शादाब का ये भी कहना है, “इस मामले में परिवार के बाकी लोगों को कुछ नहीं पता था। वो इस बात से अनजान थे। भाभी को भी इस बात की जानकारी नहीं थी। वो तो अनम की मौत के बाद से सदमे में हैं। उनको लगता है अनम वापस आ जाएगी। भाभी की ये हालत देखकर बुरा लगा, लेकिन हम लोग भी मजबूर थे। पर हमें ये नहीं पता था कि हम लोग जिस परिवार को बचाने की कोशिश कर रहे थे, वो अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। हमारी गिरफ्तारी के बाद घर में सबको सच पता चल गया है।”

बच्ची अनम की मां इस साजिश में शामिल नहीं थी। पुलिस के खुलासे के बाद उन्हें पता चला कि उनकी पिता ने ही उनकी बेटी की हत्या की है।
बच्ची अनम की मां इस साजिश में शामिल नहीं थी। पुलिस के खुलासे के बाद उन्हें पता चला कि उनकी पिता ने ही उनकी बेटी की हत्या की है।

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