बालोद:–बालोद जिले के तांदुला जलाशय में काफी जलभराव हो गया है । सावन के महीने और लगातार रिमझिम- रिमझिम बारिश होने से जलाशयों में लबालब पानी भरा हुआ है। जिले के अंतर्गत गोंदली जलाशय, खरखरा जलाशय व मटिया मोती जलाशय ओवरफ्लो हो चुके हैं। वही तांदुला को छलक ने के लिए लगभग 3 फीट और पानी की आवश्यकता है । वर्तमान में हवा के झोंके से तांदुला जलाशय के रपटे ( दीवार)से हवा के झोंके से पानी टकराकर बौछार के रूप में छलक रहा है। आने वाले दिनों में बारिश से जलाशयों में काफी पानी भर जाएगा , ऐसा मौसम विभाग का अनुमान है। इधर तांदुला जलाशय से सिंचाई के लिए लगभग 600 क्यूसेक पानी कैनाल के माध्यम से गेट खोल कर छोड़ दिया गया है, जिससे जलभराव की स्थिति कम हुई है। केनाल के माध्यम से पानी नहीं छोड़े जाने से अब तक तांदुला जलाशय छलक चुका होता।
तांदुला जलाशय के लगातार छलकने का इंतजार है।जलाशय के छलकने का नज़ारा ही देखते बनता है।
*जलाशय का इतिहास एक नज़र*
तांदुला जलाशय से लगा सूखा जलाशय है,ब्रिटिश के जमाने मे इस जलाशय का निर्माण हुआ है। उनकी टेक्नोलॉजी , ईमानदारी पूर्वक किये गए कार्य सराहनीय है। मैंन गेट जहा से जलाशय के पानी को छोड़ा जाता है। उसका सिस्टम व दरवाज़े के स्लाइडर, चैन की सेटिंग ,लोहे की प्लेट,मोटी मोटी लोहे की रॉड ,की दीवाल में नट बोल्ट से फीटिंग काबीले तारीफ़ है।
जलाशय का पानी खेतोँ की सिंचाई हेतु कैनाल के माध्यम से छोड़ा जाता है ।
तांदुला जलाशय व सूखा जलाशय (आदमाबाद डैम)का निर्माण सन 1907 में प्रारंभ होकर 1912 में कम्प्लीट हुआ। ब्रिटिश गवर्नमेन्ट में निर्मित इस डैम को बने 111 साल हो गए । तांदुला और सूखा जलाशय दोनों का पानी गेट के माध्यम से जाता है ।इन दोनों बांध की विशेषताएं हैं कि इसका औसत जल ग्रहण क्षेत्र 319 – 40 वर्ग मील है ,,जलाशय की पूर्ण क्षमता 107850 मिली घन फुट है। उच्चतम जल स्तर 1093 पॉइंट 83 फीट है ।उच्चतम बांध स्तर 1099 फीट है ।सूखा बांध की लंबाई 80 जरीब एवं तांदुला बांध की लंबाई 59 जरीब है ।मुख्य नहर की लंबाई 68 पॉइंट 8 मील है। जब यह बांध 1912 में कंप्लीट हुआ ।उस वक्त बांध की कुल लागत एक करोड़ छै लाख सत्ताइस हजार छै सौ अठाइस रुपए थी।